भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का मक्का बाजार पर प्रभाव
मक्का के लिए जिन बाज़ार रुझानों का हमने अनुमान लगाया था, वे बिल्कुल सटीक साबित हुए हैं। बाज़ार में स्थिरता के साथ हल्का कमजोर रुख देखा गया है, और कीमतें लगातार MSP ₹2400 प्रति क्विंटल से ₹400-₹600 नीचे बनी हुई हैं। इस सप्ताह व्यापार स्तर पर कीमतें लगभग इस प्रकार रहीं-25% नमी वाले गीले मक्का का भाव लगभग ₹1350, 20% नमी वाले औसत गुणवत्ता के मक्का का भाव ₹1650, अच्छी गुणवत्ता वाले सूखे मक्का का भाव ₹2100 और प्रीमियम क्वालिटी का मक्का लगभग ₹2250 प्रति क्विंटल रहा। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की खबरों के बाद बाज़ार में भावना कमजोर हुई। दंडात्मक शुल्क हटने के बाद भारत सोयाबीन, मक्का और डेयरी उत्पाद बिना शुल्क के आयात कर सकता है ऐसी संभावना ने खरीदारी को और कमजोर कर दिया है। हालांकि, अमेरिका से संभावित मक्का आयात का CNF मूल्य लगभग ₹21,285 प्रति टन अनुमानित है, जो घरेलू कीमतों की तुलना में काफी अधिक है, इसलिए भारी गिरावट की संभावना कम है। फिर भी, कुछ समय तक बाज़ार भावना कमजोर रहने की संभावना है। इसके साथ ही, एथेनॉल उद्योग को प्रभावित करने वाले किसी भी समझौते की संभावना भी बाजार पर दबाव बनाए रख सकती है। कई मंडियों में भारी आवक देखी गई है, और अनुमान है कि अब तक कुल उत्पादन का केवल 20-30% ही मंडी तक पहुंचा है, जो आगे आपूर्ति दबाव का संकेत देता है। 94.90 लाख हेक्टेयर के रिकॉर्ड बोए गए क्षेत्र और बंपर फसल की उम्मीद ने पहले ही सीजन की शुरुआत से ही अधिक आपूर्ति का माहौल बना दिया था, और इसी कारण कीमतें दबाव में बनी हुई हैं। मक्का के लिए एक बड़ा झटका एथेनॉल नीति में बदलाव से आया। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां मक्का की खपत का बड़ा हिस्सा एथेनॉल उत्पादन पर निर्भर है, पेट्रोलियम आधारित एथेनॉल के कम कोटे ने घरेलू मांग को कमजोर किया है। सरकार के 5.2 मिलियन टन चावल को एथेनॉल उत्पादन के लिए आवंटित करने के फैसले के बाद कई एथेनॉल प्लांट्स ने मक्का की खरीद लगभग बंद कर दी है। पोल्ट्री और फीड की मांग भी इस सप्ताह कमजोर रही, क्योंकि DDGS की उपलब्धता बढ़ने से यह मक्का की तुलना में सस्ता विकल्प बन गया है। स्टॉकिस्ट भी गीले मक्का में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिससे पूरे आपूर्ति का बोझ किसानों और मंडियों पर आ गया है। कई राज्यों में किसानों ने MSP पर खरीद की अपनी मांग दोबारा उठाई है। तेलंगाना पहले ही 8 लाख टन मक्का MSP पर खरीदने की घोषणा कर चुका है। भारत-म्यांमार व्यापार समझौते में, भारत ने मक्का को जानबूझकर बाहर रखा है। फिलहाल, मक्का बाजार अंतरराष्ट्रीय व्यापार विकास, अत्यधिक आपूर्ति, कमजोर औद्योगिक मांग और एथेनॉल नीति की अनिश्चितताओं के बीच फंसा हुआ है। ऐसे में निकट भविष्य में किसी बड़ी तेजी की उम्मीद बहुत कम है। आने वाले 2-3 हफ्तों में औद्योगिक मांग और एथेनॉल से जुड़े निर्णय बाज़ार की दिशा तय करेंगे। यदि स्टॉकिस्ट सक्रिय होते हैं, तो हल्की रिकवरी संभव है, लेकिन निकट अवधि में इसकी संभावना कम है।